उत्पादन के साधन पर पूंजीपतियों का नियंत्रण होता है तो ऐसी अर्थव्यवस्था को capitalist economy पूंजीवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं।
पूंजीपतियों से मिलकर ही बाजार बनता है पूंजीवादी अर्थव्यवस्था ही बाजार अर्थव्यवस्था कहलाती है।
यहां पर उत्पादन के संसाधन निजी क्षेत्र के हाथों में होते हैं जब हम बाजार जाते हैं तो वहां के दुकानदार में प्रतियोगिता होती है।
एक दुकानदार दूसरे दुकानदार के मुकाबले प्राइज में कमि या बड़ोतरी करता है जब बाजार में किसी सामान की कमी हो जाती है तो उसका दाम बढ़ा हुआ होता है।
capitalist economy में दो महत्वपूर्ण चीजें हैं।
- मांग और पूर्ति
- प्रतियोगिता
यानी किसी भी सामान का जो मूल्य निर्धारित होगा वह या तो प्रतियोगिता पर आधारित होगा या मांग पूर्ति पर आधारित होगा।
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पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के कार्य
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था capitalist economy में वस्तुओं का दाम ऊंचा होने के कारण हमारे जीवन का स्थल भी ऊंचा हो जाता है।
- इस व्यवस्था में बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है।
- ज्यादा उत्पादन यानी ज्यादा पैसा ज्यादा पैसा यानी इकोनामी में बढ़ोतरी साधन संसाधनों का निर्माण।
- लोच का गुण।
- श्रम विभाजन और विशिष्ट ई करण का उपयोग।
समाजवादी अर्थव्यवस्था
जिस अर्थव्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर सरकार या समाज का स्वामित्व होता है तथा वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन समाज के कल्याण के लिए होता है उसे समाजवादी अर्थव्यवस्था कहते हैं।
डिकिंसन के अनुसार समाजवाद/ समाजवादी अर्थव्यवस्था समाज का बह आर्थिक संगठन है।
जिसमें उत्पत्ति के भौतिक साधनों पर संपूर्ण समाज का अधिकार रहता है और इसका प्रयोग एक सामान्य आर्थिक नियोजन के अनुसार ऐसी संस्थाओं द्वारा किया जाता है।
जो समाज के प्रतिनिधि तथा उसके प्रति उत्तरदाई होते हैं समाजवादी अर्थव्यवस्था से जो लाभ प्राप्त होता है उससे समाज के सभी सदस्य समानता के आधार पर लाभ उठाने के अधिकारी होते हैं
मिश्रित अर्थव्यवस्था
जब भारत 1997 में आजाद हुआ तब भारत के सामने दो बड़ी चुनौतियां थी पहली अमेरिका की अर्थव्यवस्था पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अपनाएं या रूस की समाजवादी अर्थव्यवस्था अपनाएं।
तब भारत सरकार ने कुछ संसाधनों पर पूंजीपतियों का नियंत्रण दिया और कुछ संस्थान संसाधन सरकार का नियंत्रण दिया इन दोनों का जो मिलाजुला क्षेत्र है इसे ही मिश्रित अर्थव्यवस्था कहते हैं।
अर्थव्यवस्था के भेद
- पिछड़ी
- विकासशील
- विकसित
पिछड़ी अर्थव्यवस्था
यदि किसी क्षेत्र में कृषि की भागीदारी सर्वाधिक होती है जहां कृषि का योगदान 80% या 50 % तक होता है ऐसी अर्थव्यवस्था पिछड़ी अर्थव्यवस्था कहलाती है।
विकासशील अर्थव्यवस्था
जब किसी क्षेत्र में कृषि का योगदान कम हो रहा हो और साथ-साथ उद्योग और सेवा का योगदान बढ़ रहा हो तो ऐसी अर्थव्यवस्था विकासशील अर्थव्यवस्था कहलाती है।
विकसित अर्थव्यवस्था
यदि किसी क्षेत्र में उद्योग और सेवा का योगदान सर्वाधिक होता है तथा कृषि का योगदान बहुत कम होता है तो इस प्रकार की अर्थव्यवस्था को विकसित अर्थव्यवस्था कहते हैं। जैसे अमेरिका ब्रिटेन
आर्थिक संवृद्धि
अगर अर्थव्यवस्था में ऐसा परिवर्तन होता है जिसे मापा जा सकता है अर्थात परिमाणात्मक परिवर्तन होता है जैसे यदि किसी अर्थव्यवस्था में राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है तो उसे मापा जा सकता है।
आर्थिक विकास
अगर संवृद्धि बनी रहती है तो विकास होता है व्यक्ति के संसाधनों में विकास होता है यानी अगर अर्थव्यवस्था में परिमाणात्मक और गुणात्मक परिवर्तन होता है।
जिससे स्वास्थ्य शिक्षा में परिवर्तन देखने को मिलता है साक्षरता दर में बढ़ोतरी होती है आर्थिक समृद्धि होती है।